अब तो हालात कुछ यूं हो गया है मेरा कि..
न मैं सो पाता हूं और न ही रो पाता हूं...
और तेरे सिवा अब तो ख़ुद का भी हो नहीं पाता हूं..
और रोने और सोने से इतर..
मैं इक सुन्य हूं तेरे बिना..
गर जो तू एक आ जाए तो दस क्या अनगिनत बन जाऊंगा..
और इक बात कि..
जब से तेरा साथ मिला है..
अंधेरे और तन्हाई में भी अब सुकून मिलता है...
क्यूंकि तेरी यादों की रौशनी और तेरी आवाज़ की गूंज...
अंधेरे और तन्हाई दोनों को मिटा देते हैं...
@I@A@W@F@Y@
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©इक _अल्फाज़@ars
#together