रूके हुए से कदम वक़्त के संग चलने लगे,
लोग कहते हैं कि हम फितरतें बदलने लगे l
जमाना था कभी बेफिक्र हुआ करते थे हम,
अब तो हर आज, कल की फ़िक्र में ही ढलने लगे l
हमसे उम्मीद न अब कीजिए वफाओं की,
वफ़ा के रास्ते, हद से मेरी निकलने लगे l
हसरतें कागजों पर मैने लिख रखीं थी कभी,
फर्ज की बारिशों में ख्वाब मेरे गलने लगे l
बनके शबनम मिले थे यार मुझे राहों में,
आग में नफरतों की शोले बनके जलने लगे l
रूके हुए से कदम वक़्त के संग चलने लगे,
लोग कहते हैं कि हम फितरतें बदलने लगे l
#SelfWritten.. ✍️@Anil_kr93
©The creativity of Anil Rathore
रूके हुए से कदम वक़्त के संग चलने लगे,
लोग कहते हैं कि हम फितरतें बदलने लगे l
जमाना था कभी बेफिक्र हुआ करते थे हम,
अब तो हर आज, कल की फ़िक्र में ही ढलने लगे l
हमसे उम्मीद न अब कीजिए वफाओं की,
वफ़ा के रास्ते, हद से मेरी निकलने लगे l