जिंदगी के रंग हजार देखे, हुस्न के बिकते बाजार देखे | मराठी शायरी Video
"जिंदगी के रंग हजार देखे,
हुस्न के बिकते बाजार देखे।
लगाए बैठे थे आस जिन की आने की,
वो ही इंतजार में रोते हुए जार जार देखे।
गरीब के आशु की कीमत अब कोन लगाए,
अपने हक को पाने के लिए हाथ फैलाए लाचार देखे।
मनदीप साई"
जिंदगी के रंग हजार देखे,
हुस्न के बिकते बाजार देखे।
लगाए बैठे थे आस जिन की आने की,
वो ही इंतजार में रोते हुए जार जार देखे।
गरीब के आशु की कीमत अब कोन लगाए,
अपने हक को पाने के लिए हाथ फैलाए लाचार देखे।
मनदीप साई