चले आओ ना थक गई आंखे,दीदार के लिए | हिंदी कविता

"चले आओ ना थक गई आंखे,दीदार के लिए हो गई अगर है ! तूम फुरसत, तो पूरी कर दो ना मेरी हसरत मान के जान,रखा हूं ! सलामत तुझे आकार कर दो ना तृप्त एक बार मुझे रखा हूं मन को संभाल के हर बार द्वंद्व से निहाल कर दो ना आकर मुझे पूरे मन से !"

 चले आओ ना
थक गई आंखे,दीदार के लिए 
                 हो गई अगर  है ! तूम फुरसत,
तो पूरी कर दो ना मेरी हसरत
                 मान के जान,रखा हूं ! सलामत तुझे
आकार कर दो ना तृप्त एक बार मुझे
               रखा हूं मन को संभाल के  हर बार द्वंद्व से
      निहाल कर दो ना आकर मुझे पूरे मन से !

चले आओ ना थक गई आंखे,दीदार के लिए हो गई अगर है ! तूम फुरसत, तो पूरी कर दो ना मेरी हसरत मान के जान,रखा हूं ! सलामत तुझे आकार कर दो ना तृप्त एक बार मुझे रखा हूं मन को संभाल के हर बार द्वंद्व से निहाल कर दो ना आकर मुझे पूरे मन से !

#चले आओ ना२६

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