मैं अकेला हूँ लेकिन अकेला नहीं वो एहसासों में है | हिंदी कविता

"मैं अकेला हूँ लेकिन अकेला नहीं वो एहसासों में है यहीं पे कहीं जब जी चाहे बंद करके दोनों नयन 2 देख लेता हूँ उसका चेहरा हसीं ©कवि प्रभात"

 मैं अकेला हूँ लेकिन अकेला नहीं 
वो एहसासों में है यहीं पे कहीं 
जब जी चाहे बंद करके दोनों नयन 2
देख लेता हूँ उसका चेहरा हसीं

©कवि प्रभात

मैं अकेला हूँ लेकिन अकेला नहीं वो एहसासों में है यहीं पे कहीं जब जी चाहे बंद करके दोनों नयन 2 देख लेता हूँ उसका चेहरा हसीं ©कवि प्रभात

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