अब कोई बातें न होंगी,
होंगी न कोई सच कहानी।
झूमता मैं रोज जिसमें
न रही वो बोल बानी
मैं कभी न चाहता था
कि आँख आये अश्रु पानी
धीर दिल को हूँ दिलाता
पीर से आँखे मिलाता
कर न चिंता हे बटोही!
फिर वही सपने चुराता
सुन ले मेरी दास्ताँ भी
जो तुझे है तुमको सुनानी
~~विवेक
©Vivek Pandey