मेरी शराब हर सुबह क्यों बदनाम होती है, शाम ढलने पे | हिंदी Shayari
"मेरी शराब हर सुबह क्यों बदनाम होती है,
शाम ढलने पे यह मेरे साथ क्यों रोती है,
जब कभी मैं याद कर के रो दूँ तुम्हे,
यह शराब है जो मेरी आँख के साथ रोती है।"
मेरी शराब हर सुबह क्यों बदनाम होती है,
शाम ढलने पे यह मेरे साथ क्यों रोती है,
जब कभी मैं याद कर के रो दूँ तुम्हे,
यह शराब है जो मेरी आँख के साथ रोती है।