मेरे कमरे की दिवारों पर टंगी हुई है जो तेरी उन तस् | हिंदी शायरी

"मेरे कमरे की दिवारों पर टंगी हुई है जो तेरी उन तस्वीरों को निहारता रहता हूँ तेरे याद में लिखकर कुछ अल्फ़ाज़ों को अपनी जुल्फों की तरह संवरता रहता हूँ मुझे मालूम है तू पलट कर नही देखेंगी फिर भी मैं क्यों तुझे पुकारता रहता हूँ? दुर्गेश कुमार 'रजनीश' ©Durgesh kumar"

 मेरे कमरे की दिवारों पर टंगी हुई है जो
तेरी उन तस्वीरों को निहारता रहता हूँ

तेरे याद में लिखकर कुछ अल्फ़ाज़ों को
अपनी जुल्फों की तरह संवरता रहता हूँ

मुझे मालूम है तू पलट कर नही देखेंगी
फिर भी मैं क्यों तुझे पुकारता रहता हूँ?

दुर्गेश कुमार 'रजनीश'

©Durgesh kumar

मेरे कमरे की दिवारों पर टंगी हुई है जो तेरी उन तस्वीरों को निहारता रहता हूँ तेरे याद में लिखकर कुछ अल्फ़ाज़ों को अपनी जुल्फों की तरह संवरता रहता हूँ मुझे मालूम है तू पलट कर नही देखेंगी फिर भी मैं क्यों तुझे पुकारता रहता हूँ? दुर्गेश कुमार 'रजनीश' ©Durgesh kumar

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