अवकात नहीं थी ज़माने मेँ जो हमारी कीमत लगा सके, क | हिंदी शायरी Video

"अवकात नहीं थी ज़माने मेँ जो हमारी कीमत लगा सके, कमबखर इश्क़ मेँ क्या पड़े मुफ्त मेँ नीलम होगये... #imi007"

अवकात नहीं थी ज़माने मेँ जो हमारी कीमत लगा सके, कमबखर इश्क़ मेँ क्या पड़े मुफ्त मेँ नीलम होगये... #imi007

#lovebeat #nojotoshayari

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