फिर इक सिगरेट जला रहा हु फिर इक तिल्ली भुझा रहा हु
समझना मत इसको मेरी आदत मैं तो बस धुवा उड़ा रहा हु
मैं पी कर इतना बहक चुका हु की गम के किस्से सुना रहा हू
अगर तुम्हे भी गम है तो मेरे पास आओ मैं पी रहा हूं और पीला रहा हु
यू तो आज मेरी आंखे है नम पर मैं सबको हसा रहा हूं
देखो एक सिगरेट के बहाने मैं खुद को कैसे जला रहा हु
के फिर एक सिगरेट जला रहा हूं फिर एक तिल्ली बुझा रहा हु...!!
©Sonu Delhi
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