"थोड़ा ठहर जाओ तो दिल को क़रार आ जाए,
मुमकिन है कि इस दिल पर तुम्हारा ही इख़्तिआर हो जाए।
सज रही हैं पलकों पे जो ये चाहत की हसरतें,
कहीं ऐसा न हो आँखों में बस इंतज़ार रह जाए।
छा रहे रूह पर इस कदर तेरी बेनाम मोहब्बत के साए,
ग़मों की गर्द में हम कहीं खो ही न जाएँ।।"