स्कूल और बेंच स्कूल कि यादें,
और वो क्लास कि पिछली बेंच पर लिखी बातें।
कभी उसने मासूम इश्क़ के रूमानी अल्फ़ाज़ देखे है,
तो कभी कड़े इम्तिहान के वक़्त, तबीयत नासाज़ होते देखे है,
बिस्तर सा वो साथ उसका, जब कुछ समझ ना आता था,
और कभी आड़ी-तिरछी लकीरें बना, वो बोरियत भरा वक़्त,
यूंही निकल जाता था।