एक चाह है!
तुझे हर रोज सुनने की
तेरी खामोशियां गुनगुनाने की
तेरे हर ज़ख्म पे मरहम बन जाने की
एक चाह है
तेरे चेहरे पे एक मुस्कान दे जाने की
तुझे बिना देखे ही तेरी तस्वीर
अपने आंखों में बसाने की
बिना किसी वादे के
तुझ से हर वादा निभाने की
एक चाह है
बिना रिश्तों में बांधे तुझे
तुझ से हर रिश्ता निभाने की
फासले हजारों मीलों के क्यों ना हो,
पर दिल से दिल की दूरी मिटाने की
बिना फेरे,बिना सिंदूर के
तेरी सुहागन हो जाने की
तेरी प्रीत के हर रंग में रंग जाने की
एक चाह है ओ वैरागी!
तेरी जोगन हो जाने की।
❤️
©मलंग
#चाहत