मुनासिब नहीं रिस्तों में हार - जीत हो जाना पहले वर | हिंदी Shayari

"मुनासिब नहीं रिस्तों में हार - जीत हो जाना पहले वर्तमान ,भविष्य फिर अतीत हो जाना ग़र मोहब्बत है तो ज़रा सम्भलना मेरे यारों मुझे गंवारा नहीं किसी का अमित हो जाना ©Amit Chaturvedi"

 मुनासिब नहीं रिस्तों में हार - जीत हो जाना
पहले वर्तमान ,भविष्य फिर अतीत हो जाना
ग़र मोहब्बत है तो ज़रा सम्भलना मेरे यारों 
मुझे गंवारा नहीं किसी का अमित हो जाना

©Amit Chaturvedi

मुनासिब नहीं रिस्तों में हार - जीत हो जाना पहले वर्तमान ,भविष्य फिर अतीत हो जाना ग़र मोहब्बत है तो ज़रा सम्भलना मेरे यारों मुझे गंवारा नहीं किसी का अमित हो जाना ©Amit Chaturvedi

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