वक़्त की लकीर थामे वो लम्हा कही अटक ग

" वक़्त की लकीर थामे वो लम्हा कही अटक गया, खींचते खींचते कल की डोर को,उसका आज फिर लटक गया। ~Amrit"

       




   वक़्त की लकीर थामे वो लम्हा कही अटक गया,
खींचते खींचते कल की डोर को,उसका आज फिर लटक गया।
                                                                     ~Amrit

वक़्त की लकीर थामे वो लम्हा कही अटक गया, खींचते खींचते कल की डोर को,उसका आज फिर लटक गया। ~Amrit

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