कई पीड़ादायक घटनाओं के बाद व्यक्ति या तो
अधिक बोलने लगता है या एक दम मौन
हो जाता है,पहली स्थिति में
उसके भीतर एक गहरा मौन प्रवेश करता है,
और दूसरी में एक गूंजता हुआ शोर ।
दोनो ही प्रत्यक्ष परिस्थितियां उसका
अप्रत्यक्ष दुःख व्यक्त करती हैं।
सुरेश चोहान
- आईना
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