घर से दूर रहकर अपनों को देखे बगैर दिन की शुरूआत

"घर से दूर रहकर अपनों को देखे बगैर दिन की शुरूआत , कठिन है अकेला रहकर त्यौहार मनाना , कठिन है। उन अंजान से लोगों में खोखली हंसी को ओढे़ , आंसू रोक पाना अजीब है, नई चुनौतियों को अपना, इस माहौल में ढ़लना कठिन है, पर,,,,,इन सबसे खूबसूरत है वो हंसी जो मुझे बढ़ता देख,,, ,मेरे अपनों के चेहरे पर आती होगी, बहुत आसान हो जाता है उस उम्मीद में जीना, जो किसी अपने की आंखों में इस पल पल रही होगी।।"

 घर से दूर रहकर 
अपनों को देखे 
बगैर दिन की शुरूआत , कठिन है
अकेला रहकर त्यौहार मनाना ,
कठिन है।
उन अंजान से लोगों में 
खोखली हंसी को ओढे़ ,
आंसू रोक पाना अजीब है, 
नई चुनौतियों को अपना,
 इस माहौल में ढ़लना कठिन है,
पर,,,,,इन सबसे 
खूबसूरत है वो हंसी जो मुझे बढ़ता देख,,, 
,मेरे अपनों के चेहरे पर आती होगी,
बहुत आसान हो जाता है
 उस उम्मीद में जीना,
जो किसी अपने की आंखों में
 इस पल पल रही होगी।।

घर से दूर रहकर अपनों को देखे बगैर दिन की शुरूआत , कठिन है अकेला रहकर त्यौहार मनाना , कठिन है। उन अंजान से लोगों में खोखली हंसी को ओढे़ , आंसू रोक पाना अजीब है, नई चुनौतियों को अपना, इस माहौल में ढ़लना कठिन है, पर,,,,,इन सबसे खूबसूरत है वो हंसी जो मुझे बढ़ता देख,,, ,मेरे अपनों के चेहरे पर आती होगी, बहुत आसान हो जाता है उस उम्मीद में जीना, जो किसी अपने की आंखों में इस पल पल रही होगी।।

# घर से दूर,,,

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