कभी बादल सा गरजती हैं,तो कभी बूंदों सा बरसती हैं उ | हिंदी Shayari
"कभी बादल सा गरजती हैं,तो कभी बूंदों सा बरसती हैं
उसकी हर अदा के खातिर कमबख्त ये आंखे तरसती है
कभी परिंदो सा उड़ती है,तो कभी झरने सा बहती है
उसकी हर मुस्कुराहट पर,मेरी धड़कन ठहरती है"
कभी बादल सा गरजती हैं,तो कभी बूंदों सा बरसती हैं
उसकी हर अदा के खातिर कमबख्त ये आंखे तरसती है
कभी परिंदो सा उड़ती है,तो कभी झरने सा बहती है
उसकी हर मुस्कुराहट पर,मेरी धड़कन ठहरती है