यूं तो ख्वाहिशों से दूर हूं मैं पर काश कि मैं परि | हिंदी Shayari Vid
" यूं तो ख्वाहिशों से दूर हूं मैं पर काश कि मैं परिंदा होता
इस जहां से दूर उसके जहां में कहीं अपना बाशिंदा होता
मीलों की दुरी ना होती दिल जीतना मैं उतना करीब होता
आजमाएशों से गुजारता मैं पर उसकी पनाह में ज़िंदा होता"
यूं तो ख्वाहिशों से दूर हूं मैं पर काश कि मैं परिंदा होता
इस जहां से दूर उसके जहां में कहीं अपना बाशिंदा होता
मीलों की दुरी ना होती दिल जीतना मैं उतना करीब होता
आजमाएशों से गुजारता मैं पर उसकी पनाह में ज़िंदा होता