(93)
हजारों हैं चोट खाएं अपने दिल पे
तब जाके ज़ख्म इतना गहरा हुआ...
दिल को है बनाया दर्दों का समंदर
वो बात अलग है की ठहरा हुआ.
ना ललकारो हमें की आए कोई तुफां
जिससे की तेरी तबाही ही होगी...
फैशलें होंगे तब मेरे ही हक़ में
तेरे पास कोई गवाही ना होगी.
©Mohd Asif (Genius)
#asifgenius