कैसे कैसे लोग हमारे जी को जलाने आ जाते हैं,
अपने अपने गम के फसाने हमे सुनने आ जाते हैं।
सब की सुन कर चुप रहते है दिल की बात नही कहते हैं,
आते आते जीने के भी लाख बहाने आ जाते हैं।
मेरे लिए वे गैर है और मैं उनके लिए बेगाना हू,
फिर भी एक रस्म-ए-जहाँ है जिसे निभाने आ जाते हैं।
उनसे अलग मै रह नही सकता इस बर्बाद ज़माने मे,
अपनी ये मजबूरी "अभय"याद दिलाने आ जाते हैं।
©ABHAY MAURYA
#Barsaat