ये दूरियाँ, गुस्सा थी मैं एक दिन आपसे
आपने एक बार भी आकर मनाया क्यों नहीं
कहते थे करते हो प्यार बहोत
तो मेरी छोटी सी गलती को भी हंस के भुलाया क्यों नहीं
मुंह फुलाए खड़ी थी कोने में
एक बार भी आकर सीने से लगाया क्यों नहीं
खुद से ज्यादा था भरोसा आप पर
जब बारी आपकी आई तो निभाया क्यों नहीं
हमारे बंधन को उलझता देख ,एक बार भी सुलझाया क्यों नहीं
©Kavita Varesha
दूरियां
#दूरियां_गलतफहमियां
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