#Pehlealfaaz बरसती रहमतों सी नूरानी हैं आँखे तेरी,
नशीली जैसे मय कोई पुरानी हैं तेरी आँखे...
देखना तुम्हें भी सर से पाँव तक इबादत है जैसे,
तुम इफ्तारी रमज़ान की सहरी है तेरी आँखे...
कहीं शीत लहर तो कहीं बरपाती ये क़हर हैं,
शांत चाँद की छाया, लर्जे तो बिजली है तेरी आँखे..
देखकर इनको क्या देखू ज़माने के नज़ारे,
इस जमी पर खुल्द की खुमारी है तेरी आँखे..
सुना था रफ़ीक़ खुदा की आई किताबे चार,
ये कौन सा मुज्जसमा आसमानी है तेरी आँखे..
#Nashad💔👉👀.
@Diya A. S. @Shivam-The Untold Story #nojoto