उनसे मिली हूँ जबसे कितना बदल गई हूँ, खुद को जो देख | हिंदी Poetry

"उनसे मिली हूँ जबसे कितना बदल गई हूँ, खुद को जो देखूं लगता उन में ही ढल गई हूं।"

 उनसे मिली हूँ जबसे कितना बदल गई हूँ,
खुद को जो देखूं लगता उन में ही ढल गई हूं।

उनसे मिली हूँ जबसे कितना बदल गई हूँ, खुद को जो देखूं लगता उन में ही ढल गई हूं।

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