उसका हम पर हक़ जताया भी गया... आँखों ही आँखों... | हिंदी Shayari

"उसका हम पर हक़ जताया भी गया... आँखों ही आँखों... दिल कर हर एक राज बताया भी गया।। शायद नादाँ था वो... या फिर जान कर भी अंजान था... उसके हाथों दिल को ज़ख़्म मिले लाखों... उसी के हाथों ज़ख़्मो पर मरहम लगाया भी गया।। ©gumnaam_writer011"

 उसका हम पर हक़ जताया भी गया... 
आँखों ही आँखों...
दिल कर हर एक राज बताया भी गया।। 
शायद नादाँ था वो...
या फिर जान कर भी अंजान था... 
उसके हाथों दिल को ज़ख़्म मिले लाखों... 
उसी के हाथों ज़ख़्मो पर मरहम लगाया भी गया।।

©gumnaam_writer011

उसका हम पर हक़ जताया भी गया... आँखों ही आँखों... दिल कर हर एक राज बताया भी गया।। शायद नादाँ था वो... या फिर जान कर भी अंजान था... उसके हाथों दिल को ज़ख़्म मिले लाखों... उसी के हाथों ज़ख़्मो पर मरहम लगाया भी गया।। ©gumnaam_writer011

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