न जाने कौन सी शोहरत पर आदमी को नाज है, जबकि आखरी स | हिंदी शायरी

"न जाने कौन सी शोहरत पर आदमी को नाज है, जबकि आखरी सफर के लिए भी आदमी औरों का मोहताज है । ©benam shayrr"

 न जाने कौन सी शोहरत पर आदमी को नाज है,
जबकि आखरी सफर के लिए भी आदमी औरों का मोहताज है ।

©benam shayrr

न जाने कौन सी शोहरत पर आदमी को नाज है, जबकि आखरी सफर के लिए भी आदमी औरों का मोहताज है । ©benam shayrr

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