कलम- ए- मोहब्बत की जनूब में दुहाई रे

"कलम- ए- मोहब्बत की जनूब में दुहाई रे ⬇️ (South) मेरी हसरत -ए- ज़िंदगी में शमाल समाई रे। ⬇️ (North) तेरे इश्क की खुशबू मशरिक़ से आई रे ⬇️ (East) आज भी ढूंढता हूं तेरी मगरिब में परछाई रे। ⬇️ (West) ©Himmat Singh"

 कलम- ए- मोहब्बत की जनूब में दुहाई रे
                ⬇️
                 (South)
मेरी हसरत -ए- ज़िंदगी में शमाल समाई रे।
                    ⬇️
                   (North)
तेरे इश्क की खुशबू मशरिक़ से आई रे
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                (East)
आज भी ढूंढता हूं तेरी मगरिब में परछाई रे।
               ⬇️
              (West)

©Himmat Singh

कलम- ए- मोहब्बत की जनूब में दुहाई रे ⬇️ (South) मेरी हसरत -ए- ज़िंदगी में शमाल समाई रे। ⬇️ (North) तेरे इश्क की खुशबू मशरिक़ से आई रे ⬇️ (East) आज भी ढूंढता हूं तेरी मगरिब में परछाई रे। ⬇️ (West) ©Himmat Singh

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