नज्मों की तेज रफतार है, हवा भी बनी मौत की हथियार ह | हिंदी कविता

"नज्मों की तेज रफतार है, हवा भी बनी मौत की हथियार है, मौत का बादल उसपें यूं छाए है, जिसने कॉरोना से हाथ मिलाए है, बेवजह मौत के मुकाम को मत सांधो तुम, अब भी वक़्त है, यह नकाब कफ़न से छोटा है, इस नकाब को बांधो तुम..... ©Rohit"

 नज्मों की तेज रफतार है,
हवा भी बनी मौत की हथियार है,
मौत का बादल उसपें यूं छाए है,
जिसने कॉरोना से हाथ मिलाए है,
बेवजह मौत के मुकाम को मत सांधो तुम,
अब भी वक़्त है,
यह नकाब कफ़न से छोटा है,
इस नकाब को बांधो तुम.....

©Rohit

नज्मों की तेज रफतार है, हवा भी बनी मौत की हथियार है, मौत का बादल उसपें यूं छाए है, जिसने कॉरोना से हाथ मिलाए है, बेवजह मौत के मुकाम को मत सांधो तुम, अब भी वक़्त है, यह नकाब कफ़न से छोटा है, इस नकाब को बांधो तुम..... ©Rohit

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