कौन समझे ये कैसी रात है शायद कोई राज़ की बात है इस

"कौन समझे ये कैसी रात है शायद कोई राज़ की बात है इस कदर भी तोहफ़ा नायाब दिया था, हमने ग़ुलाब को गुलाब दिया था। आज प्यासा ही मर गया है वो, जिसने प्यासे को तालाब दिया था।"

 कौन समझे ये कैसी रात है  शायद कोई राज़ की बात है इस कदर भी तोहफ़ा नायाब दिया था,
हमने ग़ुलाब को गुलाब दिया था।

आज प्यासा ही मर गया है वो,
जिसने प्यासे को तालाब दिया था।

कौन समझे ये कैसी रात है शायद कोई राज़ की बात है इस कदर भी तोहफ़ा नायाब दिया था, हमने ग़ुलाब को गुलाब दिया था। आज प्यासा ही मर गया है वो, जिसने प्यासे को तालाब दिया था।

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