परछाइयाँ अगर बोल पाती
तो बेबाक बेदाग रोशनियों के राज़ खोल देती,
बहुत सी पहेलियाँ सुलझ जाती,
और अंधेरों के रहस्य भी खुल जाते,
पर वो ख़ामोश ही रहती हैं
अपने अनकहे किस्से शाम के रंगों
में बयां कर देती हैं, जिन्हें सिर्फ़
अकेला सा चांद पढ़ पाता है।
©Smita Sriwastav
#Parchhaiyaan