किसी का साथी किसी का सहारा किसी की सर की छत कि | हिंदी शायरी

"किसी का साथी किसी का सहारा किसी की सर की छत किसी का रोव किसी की चूड़ी बिंदी सिंदूर किसी की आंखों का तारा किसी का हमसफर किसी का हमदर्द है मगर किसी को यह नहीं कहता कि उसके सीने में कितना दर्द है क्योंकि छोटी उम्र में ही मां ने प्यार से सर पर हाथ रख कर कहा था बेटा रोना नहीं तू तो मर्द है विशाल भारतीय की कलम से ✍️✍️✍️ ©Vishal bhartiya"

 किसी का साथी
  किसी का सहारा
 किसी की सर की छत
 किसी का रोव
 किसी की चूड़ी बिंदी सिंदूर
 किसी की आंखों का तारा
 किसी का हमसफर किसी का हमदर्द है

 मगर किसी को यह नहीं कहता

 कि उसके सीने में कितना दर्द है

 क्योंकि छोटी उम्र में ही मां ने प्यार से सर पर हाथ रख कर

 कहा था बेटा रोना नहीं तू तो मर्द है




                                                    विशाल भारतीय
                                                       की कलम से 
                                                      ✍️✍️✍️

©Vishal bhartiya

किसी का साथी किसी का सहारा किसी की सर की छत किसी का रोव किसी की चूड़ी बिंदी सिंदूर किसी की आंखों का तारा किसी का हमसफर किसी का हमदर्द है मगर किसी को यह नहीं कहता कि उसके सीने में कितना दर्द है क्योंकि छोटी उम्र में ही मां ने प्यार से सर पर हाथ रख कर कहा था बेटा रोना नहीं तू तो मर्द है विशाल भारतीय की कलम से ✍️✍️✍️ ©Vishal bhartiya

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