खुआब क्यों नहीं आते? खुआब क्यों नहीं आते हम तेरी ज | हिंदी Poetry

"खुआब क्यों नहीं आते? खुआब क्यों नहीं आते हम तेरी जिंदगी से क्यों नहीं जाते, मकसद क्या यही बचा हैं हम जीते जी तेरे हो जाते, चल मन लिया हम तेरे हो जाते, क्या तुम हमारे पास लोट कर फिर हमारे हो जाते. ©Ankit Saxena"

 खुआब क्यों नहीं आते?
खुआब क्यों नहीं आते हम तेरी जिंदगी से क्यों नहीं जाते, मकसद क्या यही बचा हैं हम जीते जी तेरे हो जाते, चल मन लिया हम तेरे हो जाते, क्या तुम हमारे पास लोट कर फिर हमारे हो जाते.

©Ankit Saxena

खुआब क्यों नहीं आते? खुआब क्यों नहीं आते हम तेरी जिंदगी से क्यों नहीं जाते, मकसद क्या यही बचा हैं हम जीते जी तेरे हो जाते, चल मन लिया हम तेरे हो जाते, क्या तुम हमारे पास लोट कर फिर हमारे हो जाते. ©Ankit Saxena

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