जागने की जुग, कि जाग रहा मे
मतलब से दिन मे भाग रहा मे
चार दिन की जिंदगी मे क्या क्या
मौत है करीब, और नाच रहा मे
कितने दुख है कि क्या कहु आज
किसी की गुरबत मे, कितना साथ रहा मे
बिगड़े रिश्ते बाप के साथ भी
तंगी मे याद आते है आप भी
ये भी मुश्किल है मांग न लूं कुछ
ये भी मुश्किल है, छूट न जाये, साथ भी
तुम आते हो तो घबरा जाता हु
गुरबत के किस्से फिर से सुनाने पड़ेंगे
Fir ज़ख़्म ताज़े होंगे
फिर कुछ झूंट सच दिखाने पड़ेंगे
फिर मुस्ताबिल के ताने दोगे
फिर कामयाबी के जौहर लाने पड़ेंगे...
फिर वही बात होगी
जिस पर दरमियान फासले बनाने पड़ेगे
क्यूँ न एैसा करते है
जो बात दिल मे है दिल मे रखते है.....
©Ashraफ Ali (اشرف علی)
#sad_feelings