हौसलों के कंधे झुके हुए थे पैर सलामत डगर रुके हु | हिंदी शायरी

"हौसलों के कंधे झुके हुए थे पैर सलामत डगर रुके हुए थे मौन थीं ख्वाहिशें दहलीज़ पर दरवाज़े पर ताले लटके हुए थे ©Harlal Mahato"

 हौसलों  के  कंधे झुके हुए थे
पैर सलामत डगर रुके हुए थे 

मौन थीं ख्वाहिशें दहलीज़ पर 
दरवाज़े पर ताले लटके हुए थे

©Harlal Mahato

हौसलों के कंधे झुके हुए थे पैर सलामत डगर रुके हुए थे मौन थीं ख्वाहिशें दहलीज़ पर दरवाज़े पर ताले लटके हुए थे ©Harlal Mahato

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