गम हजारो है फिर भी मस्त रवानी हूँ मैं,
ना जाने कितने इम्तिहानो से गुजरी जबानी हूँ मैं।
गर सुनोगे तो तिलमिला उठोगे तुम भी दर्द से,
मत छेडो मुझे बड़ी दर्द भरी कहानी हूँ मै।
सबको जरूरत है मेरी पर मेरा कोई ठिकाना नहीं,
इस घाट से उस घाट बहता हुआ पानी हूँ मैं।
ना जाने कितनी बार खेला गया मेरे जज्बातों से,
बार बार मोहब्बत में कुर्बान हुईं निसानी हूँ मैं।
मेरा अपना भी एक बजूद रहा है किसी दौर तक,
सबके मुह कही गयी एक पुरानी कहानी हूँ मैं।।
©Deepak shayar
#Gulaab