आदत हर ज़ख़्म हरा का हरा रह जाता है सबको गले लगाने | हिंदी शायरी

"आदत हर ज़ख़्म हरा का हरा रह जाता है सबको गले लगाने की आदत नहीं जाती"

 आदत हर ज़ख़्म हरा का हरा रह जाता है 
सबको गले लगाने की आदत नहीं जाती

आदत हर ज़ख़्म हरा का हरा रह जाता है सबको गले लगाने की आदत नहीं जाती

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