White एक मिट्टी की खुशबू थी, हर खेल में एक अदा थी,
कभी पतंग के पीछे दौड़ते, तो कभी गुब्बारों से दिल बहलाते।
हर शाम दोस्तों के संग गली में मस्ती का बहाना था,
बिना किसी फिक्र के, बस सपनों का जमाना था।
खिलौनों से घर बनाते, इमली और आइसक्रीम के स्वाद में खो जाते,
हर जीत छोटी-सी होती, पर खुशी का कोई ठिकाना ना था।
आज सब कुछ पास है, फिर भी वो जादू कहीं खो गया,
इसे आचा तो बचपन का ही जमाना था।
©Aditya Vardhan Gandhi
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