जिंदगी के कोरे पन्नों में स्याही के रँग भरता-फिरता | हिंदी Poetry Vide

"जिंदगी के कोरे पन्नों में स्याही के रँग भरता-फिरता हूँ, इश्क़ के रूहानी एहसास में आशिक़ों को शब्दों से संदल करता हूँ, तकदीर के फेर में फँसकर टूट जाती है हौंसले की डोर जिन मुसाफ़िरों की, अपनी शायरी में उन जिंददिलों को कलम की कश्ती से पार लगा मैं सिकंदर लिखता हूँ... ©अंकित भट्ट "

जिंदगी के कोरे पन्नों में स्याही के रँग भरता-फिरता हूँ, इश्क़ के रूहानी एहसास में आशिक़ों को शब्दों से संदल करता हूँ, तकदीर के फेर में फँसकर टूट जाती है हौंसले की डोर जिन मुसाफ़िरों की, अपनी शायरी में उन जिंददिलों को कलम की कश्ती से पार लगा मैं सिकंदर लिखता हूँ... ©अंकित भट्ट

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