सुबह की पहली और रात की आख़री याद होती है मोहब्बत, | हिंदी शायरी

"सुबह की पहली और रात की आख़री याद होती है मोहब्बत, यूँ जिस्म का खेल नहीं करते इसमे, बहुत पाक होती है मोहब्बत।। © ManPreet SingH "

 सुबह की पहली और रात की  आख़री याद होती है मोहब्बत,
यूँ जिस्म का खेल नहीं करते इसमे, बहुत पाक होती है मोहब्बत।।
© ManPreet SingH

सुबह की पहली और रात की आख़री याद होती है मोहब्बत, यूँ जिस्म का खेल नहीं करते इसमे, बहुत पाक होती है मोहब्बत।। © ManPreet SingH

#मोहब्बत ❤️

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