...रुठी हुई वो.. मनाने आया था मैं मन गई वो.. छुपा

"...रुठी हुई वो.. मनाने आया था मैं मन गई वो.. छुपाके रखी थी बाते,सून गई वो.. कागज पे लिखकर दु या दिलपर समज मे नही अा रहा था,मै सोचताही रेह गया और कुछ पल मुस्कुराकर थम गई वो मनाने आया था मैं मन गई वो, छुपाके रखी थी बाते सुन गई वो समय बीत रहा था , उलझने बढ रही थी, दिल की धडकने हवा से तेज हो रही थी.. उसी के चलते यकायक सा स्पर्श कर गई ओ मनाने आया था मैं मन गई वो, छुपाके रखी थी बाते सुन गई वो हवा का झोंका उसकी झुल्फोंसे खेल रहा था.. मेरी नजरोंकी लकिरोंसे ज्यादा मिल रहा था.. मै अंदर ही अंदर नफरती हो रहा था उसी वक्त मेरे नेत्रोंको धोका देकर हल्का सा शर्मा गई वो.. मनाने आया था मैं मन गई वो, छुपाके रखी थी बाते सुन गई वो बातोंसे ज्यादा मेरा तन बोल रहा था, केह देने वाली बातोंको फिर से याद कर रहा था, कुछ अल्फाज मेरे मुह से निकलने ही वाले थे उसी वक्त मेरी जबान उसके दोनो हाथोंसे बंद कर गई वो.. मनाने आया था मैं मन गई वो, छुपाके रखी थी बाते सुन गई वो अब तो धडकनोंकी पुरी दौड लगी हुई थी.. उम्मिदोंकी लहरे किनारे पे शोर मचा रही थी.. मैं मिलन की घडी का इंतजार करता रहा, उसी वक्त मेरे फैले हुये बाहो मे समा गई वो.. मनाने आया था मैं मन गई वो, छुपाके रखी थी बाते सुन गई वो..✍ -abhinil..❣"

 ...रुठी हुई वो..

मनाने आया था मैं मन गई वो..
छुपाके रखी थी बाते,सून गई वो..
कागज पे लिखकर दु या दिलपर 
समज मे नही अा रहा था,मै सोचताही रेह गया
और कुछ पल मुस्कुराकर थम गई वो
मनाने आया था मैं  मन गई वो, छुपाके रखी थी बाते सुन गई  वो

समय बीत रहा था , उलझने बढ रही थी,
दिल की धडकने हवा से तेज हो रही थी..
उसी के चलते यकायक सा स्पर्श कर गई ओ
मनाने आया था मैं  मन गई वो, छुपाके रखी थी बाते सुन गई  वो

हवा का झोंका उसकी झुल्फोंसे खेल रहा था..
मेरी नजरोंकी लकिरोंसे ज्यादा मिल रहा था..
मै अंदर ही अंदर नफरती हो रहा था
उसी वक्त मेरे नेत्रोंको धोका देकर हल्का सा शर्मा गई वो..
मनाने आया था मैं  मन गई वो, छुपाके रखी थी बाते सुन गई  वो

बातोंसे ज्यादा मेरा तन बोल रहा था,
केह देने वाली बातोंको फिर से याद कर रहा था,
कुछ अल्फाज मेरे मुह से निकलने ही वाले थे
उसी वक्त मेरी जबान उसके दोनो हाथोंसे बंद कर गई वो..
मनाने आया था मैं मन गई वो, छुपाके रखी थी बाते सुन गई  वो

अब तो धडकनोंकी पुरी दौड लगी हुई थी..
उम्मिदोंकी लहरे किनारे पे शोर मचा रही थी..
मैं मिलन की घडी का इंतजार करता रहा,
उसी वक्त मेरे फैले हुये बाहो मे समा गई वो..
मनाने आया था मैं मन गई वो, छुपाके रखी थी बाते सुन गई  वो..✍

                                                        -abhinil..❣

...रुठी हुई वो.. मनाने आया था मैं मन गई वो.. छुपाके रखी थी बाते,सून गई वो.. कागज पे लिखकर दु या दिलपर समज मे नही अा रहा था,मै सोचताही रेह गया और कुछ पल मुस्कुराकर थम गई वो मनाने आया था मैं मन गई वो, छुपाके रखी थी बाते सुन गई वो समय बीत रहा था , उलझने बढ रही थी, दिल की धडकने हवा से तेज हो रही थी.. उसी के चलते यकायक सा स्पर्श कर गई ओ मनाने आया था मैं मन गई वो, छुपाके रखी थी बाते सुन गई वो हवा का झोंका उसकी झुल्फोंसे खेल रहा था.. मेरी नजरोंकी लकिरोंसे ज्यादा मिल रहा था.. मै अंदर ही अंदर नफरती हो रहा था उसी वक्त मेरे नेत्रोंको धोका देकर हल्का सा शर्मा गई वो.. मनाने आया था मैं मन गई वो, छुपाके रखी थी बाते सुन गई वो बातोंसे ज्यादा मेरा तन बोल रहा था, केह देने वाली बातोंको फिर से याद कर रहा था, कुछ अल्फाज मेरे मुह से निकलने ही वाले थे उसी वक्त मेरी जबान उसके दोनो हाथोंसे बंद कर गई वो.. मनाने आया था मैं मन गई वो, छुपाके रखी थी बाते सुन गई वो अब तो धडकनोंकी पुरी दौड लगी हुई थी.. उम्मिदोंकी लहरे किनारे पे शोर मचा रही थी.. मैं मिलन की घडी का इंतजार करता रहा, उसी वक्त मेरे फैले हुये बाहो मे समा गई वो.. मनाने आया था मैं मन गई वो, छुपाके रखी थी बाते सुन गई वो..✍ -abhinil..❣

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