जब ना समझा मैं खुद को तो फिर तुमको क्या ही समझूँगा
रुक जाऊंगा थक जाऊंगा फिर गिर उठ कर मैं चल दूँगा
वादा हैं मेरा तुमसे ये ना तुमको फिर मैं दर्द दूँगा
वादा हैं मेरे तुमसे ये खुद ही को तार तार कर दूँगा
जो साथ गुज़ारे पल हैं तेरे सदा ज़ेहन में रखूँगा
प्यारी लगती हैं हर ज़िद तेरी हर ज़िद पूरी मैं कर दूँगा
जो वादे तुमसे किए हैं मैंने वो सारे पूरे कर दूँगा
जब रुकना चाहेंगा दिल मेरा तेरे नाम वसीयत कर दूँगा
#दिलकीवसीयत