कुछ इस तरह से रह-रह कर,
उसकी याद हमको सताती रही........
जितना भूलने की कोशिश की,
उतना हमको वो याद आती रही........
और हम पढ़ते रहे ग़ज़ल अपने,
हाल-ए-दिल पर भरी महफ़िल में.......
वो ज़ालिम महफ़िल में बैठकर,
हमारी ग़ज़लें सुन मुस्कुराती रही........
©Poet Maddy
कुछ इस तरह से रह-रह कर,
उसकी याद हमको सताती रही........
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