मुझे पता है कि मैं मुसाफिर हूँ फिर भी न जाने क्यों | हिंदी शायरी

"मुझे पता है कि मैं मुसाफिर हूँ फिर भी न जाने क्यों.... तेरे यहां ठहरने का जी कर रहा है..!! ©Pradeep Kumar Mishra"

 मुझे पता है कि मैं मुसाफिर हूँ
फिर भी न जाने क्यों....
तेरे यहां ठहरने का जी कर रहा है..!!

©Pradeep Kumar Mishra

मुझे पता है कि मैं मुसाफिर हूँ फिर भी न जाने क्यों.... तेरे यहां ठहरने का जी कर रहा है..!! ©Pradeep Kumar Mishra

#मुसाफिर #बंजारा

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