"इस दृष्टिगोचर जगत में तो
कृष्ण कहते सब सपना है
लगता सब सुन्दर मनमोहक
पर किंचित भी क्या अपना है
जो प्राप्त हुआ तुमको इतना
पर्याप्त नहीं क्यों लगता है
बस भोग छोड़ उपयोग करो
क्यों संग्रह हेतु मन ललकता है
निस्वार्थ भाव से देखो जरा
जहाँ तक ये दृष्टि जाती है,
यह सृष्टि सब है किसकी
क्यों तुझको सब तेरा लगता है।
'अविरल रुचि'
©Ruchi Singh
"