यह कौन सा ख्याल मुझ पर हावी हो चुका है फसाने के च | हिंदी Shayari

"यह कौन सा ख्याल मुझ पर हावी हो चुका है फसाने के चिरागों में जैसे सब जल चुका है तन्हाइयों में करता हूं खुद से ही बातें मैं चाहता हूं अब मेरा दर्द और कोई ना बाटे ©BIKASH SINGH"

 यह कौन सा ख्याल 
मुझ पर हावी हो चुका है
फसाने के चिरागों में 
जैसे सब जल चुका है
तन्हाइयों में करता हूं 
खुद से ही बातें 
मैं चाहता हूं 
अब मेरा दर्द और कोई ना बाटे

©BIKASH SINGH

यह कौन सा ख्याल मुझ पर हावी हो चुका है फसाने के चिरागों में जैसे सब जल चुका है तन्हाइयों में करता हूं खुद से ही बातें मैं चाहता हूं अब मेरा दर्द और कोई ना बाटे ©BIKASH SINGH

#यह कौन सा ख्याल मुझ पर हबीब हो चुका है?

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