"मुझमें सिर्फ मैं रहा बाकि कोई न रहा
भ्रम था कि साथ बहुत हैं अपने
आवाज दी तो पता चला
मैं तो अकेला ही हूँ कब से बहा
इस अकेली उड़ान का भी था अपना मजा
न किसी की फ़िक्र थी न किसी का जिक्र
न अब कोई नारजगी किसी से
न कोई उम्मीदों की रज़ा
अब सिर्फ मैं और मेरी हर फ़ज़ा.......
सारिका.....
©Sarika Joshi Nautiyal
"