हे ज्ञान दायिनी ! विद्यादायिनी!
हे शारद ! मातु भवानी!
इतना मुझको वर दे माता,सदा देश हित बात करूँ।
जब भी चले लेखनी मेरी, कभी ना पक्षपात करूँ।।
सुगम,सरल और सबल रहूँ, निश्चित स्वयं में अटल रहूँ।
द्वेष कहीं ना कोई पले,माँ भारती का जयनाद करुँ।।
©Shilpi Singh
basant panchmi