अंतस में प्रभु मेरे विराजो,
मन हो जाए शिवालय,
भक्ति-भाव में लगा रहूँ नित -
निज - शरीर हो जाए देवालय।
धनुष पिनाक , चक्र भवरेंदू ,
अस्त्र त्रिशूल , धर्ता भोले ,
तेरी कृपा- दृष्टि मुझ पर ,
जीवन में अमृत घोले।
प्रेम -भक्ति जगाने वाले-
नीलकंठ महादेव प्रभु ,
करते सृष्टि -विस्तार मेरे -
अर्ध-नारीश्वर अवतार प्रभु।
देवों के देव , महादेव -
हमपे कृपा-दृष्टि करो ,
जीवन, कर्म में लिप्त रहे ,
चिंतन में प्रविष्ट करो।
-अलका बलूनी पंत
©Alka Pant
शिव वंदना
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