हैं आप दया निधि, कीजे दया,
हम भी तो शरण में आए हैं।
जो पास है मेरे,हे भगवन!,
वो साथ लिए हम आए हैं।
सारे जगत के तुम स्वामी,
तुम से ही ये जग सारा है।
चलता तुम से ही सब कुछ है,
सब का तू ही सहारा है।
लौटा न कोई दर से खाली,
इसी आस में हम भी आए हैं।
हम कैसे कहें,सब कष्ट हरो,
हम कैसे कहें ,दुख दूर करो।
है विनय यही सब के स्वामी
इस दास का भी कल्याण करो।
क्षमा नाथ जो भूल हुई,
हम चरण पकड़ने आए हैं।
©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
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