थामा जब उसने मेरे आंचल का इक सिरा
सांसें थमी थी पर बैचेन था मन मेरा
आंखों को मूंंदे मैं खड़ी रही कुछ पल वहां
कि अचानक वो मेरे चेहरे की ओर आ फिरा
जैसे ही उसने मुझे अपनी बाहों में घेरा
ना जाने क्यों एक फूल
शाख से टूटकर आ गिरा !!
©Kavita Vijaywargiya
#प्रेम